Friday, February 12, 2021

 قاصرة قصيدة للشاعر عزيز منتصر  Aziz Mountassir Aziz Mountassir 

ترجمة Abdelhamid Benjelloun 

mineure.



 Le coeur blessé et  l'âme stressée, une pauvre fille mineure aux  paroles enfantines et amusantes, fait semblant d'être joyeuse de son mariage en voilant ses Souffrances.

On dirait une toile abstraite dont les couleurs reflètent le regret, et le pinceau exprime l'injustice d'une mère attachée aux traditions dépassées, conduisant sa fille mineure vers un foyer où régnera l'hiver de la vieillesse.

Est ce que la mineure a accepté cette union prématurée de son plein gré?

Sera - t-elle libre de vivre en pleine lumière du jour au lieu de

L'obscurité de la nuit ?

A qui doit elle se plaindre alors qu'elle a perdu tous ses rêves

et espoir en la vie.?






Pauvre fille mineure au corps chétif . Elle ne vivra ni le printemps  de son enfance ni l'été de sa jeunesse.


"Mère, as-tu compris ?"


"Père, il parait que tu es loin de comprendre "

Saturday, February 6, 2021

 BEYRUT YANIYOR !

By Caroline laurent

Tut elimi omzuma koy Beyrut !

Mutluluktan söz et bana,olanlar beni umutsuz ediyor...

Acıyla kırıyorlar harcını,bir koyun gibi bacağından asıyorlar ...


Haydi kalk kendine gel !

Sen kalkmasan kimse kaldırmaz seni

Kulaklar kimsenin şikayetini duymaz

Kalk bütün seslerin arasından sıyrıl

Kırbaç sesini dinleme yalnızca 


Bak vücuduna dokunuyorlar

Bak seni boynundan öpüyorlar 

Bak ırzına geçiyorlar 

Nefret vadileri köpürüyor 

Tenin kederle soluyor 

Kadınlar siyah giyer


Kanadını tak  Beyrut gölgeler beni ürkütüyor 

Arkana bak yanan ateş hazdan değil

Bıçakları beliyorlar mağarada ağı örüyorlar 

Olmasın nazdan mahvın


Sen ki solmuş defneler peşinde koşmayan sın 

Kalk yenilgiye yenilme 

Güneşin karşısında dikil ve güneş ol 

Yoksa seni koyun gibi Meletirler...

Ve senden hiç kimse söz etmez olur

Tarihin arka sayfalarında eski bir Beyrut

 By Ashok Kumar

PURE HEART ! 


Almighty doesn't make a mistake 

He knows who's real who's fake 

Can we judge anyone ? 

Feeling  his light isn't a fun 

We're his valuable  part 

Universal souls we're of his wonderful art 

Lovely flowers of his eden 

Spreading fragrance  freely , nothing is hidden 

O world ! feel his presence 

Here's peace here's essence 


शुद्ध हृदय !


सर्वशक्तिमान कोई गलती नहीं करता

वह जानता है कि कौन असली है कौन नकली

क्या हम किसी का न्याय कर सकते हैं?

उसकी रोशनी महसूस करना आसान नहीं है

हम उसके  मूल्यवान हिस्से  हैं

सार्वभौमिक आत्माएं उसकी अद्भुत कला हैं

उनके एडेन के लवली फूल

सुगंध को स्वतंत्र रूप से फैलाना ही हमारा काम है , कुछ भी छिपा नहीं है

हे संसार! उसकी उपस्थिति महसूस करो

यहाँ शांति यहाँ जीवन का सार है


भारत


INDIA 

FEBRUARY 02,2021

©®

ASHOK Kumar

नाबाळगी

Aziz Mountassir Morocco by

Meethesh Nirmohi - JODHPUR     (Rajasthan) INDIA

 डाॅ.अज़ीज़ मुंतसिर की अरबी कविता का राजस्थानी भावानुवाद. 


दोस्तो , डाॅ. अज़ीज़  मुंतसिर Aziz Mountassir Aziz Mountassir  मोरक्को  एवं उत्तरी अफ्रीका  से शांति और भाईचारा के  कवि के रूप में  विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त हैं ।उनके अरबी में  6 कविता संग्रह प्रकाशित हैं । उन्होंने  इस  उच्च स्तरीय  रचनात्मक उत्कृष्टता के निमित्त  सम्मान स्वरूप  दस से अधिक  डाॅक्टर की उपाधियां  अर्जित  की हैं । वे पांच अन्तरराष्ट्रीय कविता एंथोलाजीज में भी  योगदान कर चुके हैं  ।उनकी कविताओं और गीतों  के अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश,इटालियन,सर्बियाई, स्लोवेनियन, रूसी,  जर्मन, फिलिपीनो, और जापानी आदि भाषाओं  में बहुतेरे अनुवाद हुए हैं । राजस्थानी भाषा  में  उनकी कविता का यह पहला भावानुद अनुवाद है। इसे  आप तक पहुंचा रहा हूं । आशा करता हूं कि आपको पसंद आएगा ।


ज्ञातव्य रहे कि अज़ीज़ मुंतसिर  मोरक्को तथा उत्तरी अफ्रीका से रचनात्मकता और मानवता को समर्पित  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कवि और राजदूत तो हैं ही, वे  रचनात्मकता  और मानवता के लिए  गठित  अन्तराष्ट्रीय मंच  के अध्यक्ष भी हैं। 


उत्तरी  अफ्रीका में  वाशिंगटन के बच्चों के लिए आंतरिक  प्रेस के निदेशक   के रूप  में  सेवा करते हुए वे  मोरक्को यूडब्ल्यूएमसी उत्तरी अफ्रीका संबंध  समन्वयक (संयुक्त  विश्व आन्दोलन के बच्चे) और मोरक्को  में  मानवता और शांति मिशन के लिए राजदूत के रूप में कार्यरत हैं । 


डाॅ.अज़ीज़ मुंतसिर  वर्तमान में  मोरक्को में अरब  मीडिया नेटवर्क  के सम्पर्क  समन्वयक भी  हैं । उनके  साहित्यिक कार्यों और मानवता की सेवा को दृष्टिगत रखते हुए  मोरक्को से राजदूत  के  प्रमाण  पत्र  में  सद्भावना स्वरूप  विश्व महासंघ  ने इनके महत्व को मान्यता दी है। वे बड़ी भावुकता और जुनून के साथ वैश्विक स्तर पर इस सेवा के लिए  समर्पित  हैं और एक मानवतावादी नेता और राजदूत  के रूप  में  बड़ी  रचनात्मकता से शांति के लिए काम कर रहे हैं ।


कविवर डाॅ. अज़ीज़ मुंतसिर अमीरात,दुबई ,रोमानिया, स्पेन,  मिश्र,ट्यूनीशिया, चीन, तुर्की,  बेल्जियम आदि देशों  में   बड़ी  संख्या  में आयोजित अन्तराष्ट्रीय  सांस्कृतिक सम्मेलनों  और अंतरराष्ट्रीय कविता  उत्सवों में  भाग ले चुके हैं । प्रतुत है उनकी कविता का  भावानुवाद:


अज़ीज़ मुंतसिर री अरबी कविता रौ 

राजस्थांनी  उल्थौ - मीठेस निरमोही  

======================


नाबाळगी

======


उणरै काळजै 

घणाई  उठ रैया  है धपळका अर

आत्मा ई  पसीज रैयी है कै 


एक बाळी  उमरिया गरीब  छोरी 

जिणरै नादांनी  भरियै  अर मजेदार  बोलां रै समचै 

उणरै दुख - संताप  नै घूंघटा मांय लुकाय अर 

ब्याव मांय  खुस व्हैण रौ सांग कर रैयी है 


ओ एक मूरत विहूंणै कैनवास री गळाई 

सुभट दीस रैयौ  है 

जिणरा रंग  पछतावौ कर  रैया   

अर बुरस  जूंनी  परम्परा सूं  जुड़ियोड़ी 

एक मा  रै इन्याव नै उघाड़  रैयौ है 


जिकौ उणरी नाबाळग धीव नै आपरै घरां  लेय  जाय  रैयौ है 

जठै उणरै बुढापै री ठाडाई रौ राज  व्हैला 


कांईं इण नाबळग आपरै इण अणमेळ गठजोड़ नै 

रजामंदी सूं  अंगेज्यौ है ?


कांईं वा आखै दिन उजास में  रैवण सारू सुतंतर व्हैला 

के उणनै  रात रौ अंधारौ  घेर लेवैला ?


फरियाद  किण सूं  करै जद उणरा सगळा सपना ई तूटग्या  है

अर ऐड़ा में कांईं  उणरै जीवण री आस व्हैला ?


बाळी उमरिया आ  गरीब  छोरी आपरी इण गठीज्योड़ी देह रै सागै 

नीं तौ टाबरपणै री बहारां  में  अर नीं ई 

मोटियारपणै  री मस्ती में जी सकैला  


" मा, थारै कीं  समझ में  आयौ के नीं  ?

" बापू , लागै है आप तौ समझ सूं कोसां अळगा हौ !"


उल्थौ -  मीठेस निरमोही 

Copyright @ Meethesh Nirmohi - JODHPUR     (Rajasthan) INDIA.

 अज़ीज़ मुंतसिर री अरबी कविता रौ 

राजस्थांनी  उल्थौ - मीठेस निरमोही  

नाबाळगी

======


उणरै  काळजै 

घणाई उठ रैयौ है धपळका अर

आत्मा ई  पसीज रैयी है  

एक बाळी  उमरिया गरीब  छोरी 

जिणरै नादांनी  भरियै  अर मजेदार  बोलां रै समचै 

उणरै दुख - संताप  नै घूंघटा मांय लुकाय  

ब्याव मांय  खुस व्हैण रौ सांग  कर रैयी है 


ओ एक मूरत विहूंणै कैनवास री गळाई 

सुभट दीस रैयौ  है 

जिणरा रंग  पछतावौ कर  रैया   

अर बुरस  जूंनी  परम्परा सूं  जुड़ियोड़ी 

एक मा  रै इन्याव नै उघाड़  रैयौ है 


जिकौ उणरी नाबाळग धीव नै आपरै घरां  लेय  जाय  रैयौ है 

जठै उणरै बुढापै री ठाडाई रौ राज  व्हैला 


कांईं इण नाबळग आपरै इण अणमेळ गठजोड़ नै 

रजामंदी सूं  अंगेज्यौ है ?


कांईं वा आखै दिन उजास में  रैवण सारू सुतंतर व्हैला 

के उणनै  रात रौ अंधारौ  घेर लेवैला ?


फरियाद  किण सूं  करै जद उणरा सगळा सपना ई तूटग्या  है

अर ऐड़ा में कांईं  उणरै जीवण री आस व्हैला ?


बाळी उमरिया आ  गरीब  छोरी आपरी इण गठीज्योड़ी देह रै सागै 

नीं तौ टाबरपणै री बहारां  में  अर नीं ई 

मोटियारपणै  री मस्ती में जी सकैला  


" मा, थारै कीं  समझ में  आयौ के नीं  ?

" बापू , लागै है आप तौ समझ सूं कोसां अळगा हौ !"

-------------


उल्थौ -  मीठेस निरमोही 

Copyright @ Meethesh Nirmohi, JODHPUR ( Rajasthan) INDIA.

 By Tống Thu Ngân

(Mimosa Tím)

------------------------

TTN 1549

ĐÃ MỘT NĂM RỒI

#ngụngôntình_tốngthungân 

#ngungontinhvietnam_tongthungan  


Đã một năm rồi, một năm trôi

Thuyền người viễn xứ mênh mông đợi 

Một buổi đoàn viên đã quên chưa 


Đã một năm rồi ta nhớ thương 

Biển chiều vắng lặng lang thang bước

Có kẻ nhớ nhà nước mắt rơi


Đã một năm rồi lắm thương đau

Vũ trụ cuồng quay đời lắt lay

Ta đã không điên mà rất tỉnh 

Tỉnh để sống đời một người say 


Đã một năm rồi, một năm trôi 

Ta đã sống thực trong cuộc đời

Trong giữa u mê và tăm tối

Trong thế giới buồn ai có hay


Một năm là một thiên niên kỷ 

Ta đã từng ngồi đếm gió mây 

Mây bay gió thổi vô tình quá 

Ta ngồi đếm lá đợi tàn phai...


TỐNG THU NGÂN 1549

 שירת העצים / אילנה חטיבה

שִׁירַת הָעֵצִים 

נִשְׁמַעַת כָּאן 

מִתְלַטְּפים בֵּין מַשְּׁבֵי רוּחַ ,

ומּוֹרִידִים פֻּזְמְקֵיהֶם

עֲנָפִים מְנַעֲרִים חֹרֶף

לְעֵבֶר אָבִיב בָּאֹפֶק הַחַם,

נִיחוֹחַ פְּרִיחָה מְתַקְתַּק 

שׁוֹלֵחַ רֵיחוֹת מְשַׁכְּרִים 

וּמֵפִיץ צְלִילִים

כִּלְגִימַת יַיִן לְבֵן מְבַעְבֵּעַ

הַמְּשַׁכֵּר אַט אַט 

לְאוֹרָן הַחַם

שֶׁל קַרְנֵי הַשֶּׁמֶשׁ,

צִפּוֹרִים מַגְבִּיהוֹת 

מְעוֹפָן לַתְּכֵלֶת

פְּרִיחַת שָׁקֵד לְבָנָה וְרַדְרַדָּה

מְנַצַּחַת בְּהַרְמוֹנְיָה מְהַפְּנֶטֶת

וְכַלָּנִית אֲדֻמָּה יְחִידָה

מְבַצְבֶּצֶת בְּצֶבַע אַרְגָּמָן עַז

עוֹשֶׂה קוֹלוֹת רֶקַע

מְרַמֶּזֶת עַל צְלִילִים חַמִּים

שֶׁיַּגִּיחוּ בִּירִיעוֹת שְׁטִיחִים מְפֹאָרִים

יִפְרְשוּ לְרַגְלֵי כֹּל

וְיַסְמִיקוּ בָּחַן אֶת  פְּנִיָּה

 שֶׁל אִמָּא אֲדָמָה ,

רִקְמַת פְּרָגִים לוֹהֲטוֹת

תְּכַסֶּה  מִישׁוֹרִים וְהֵרִים

בֵּין עֲשָׂבִים יְרֻקִּים

רָוַוי מַיִם.

וּבָעֵמֶק אֲחַכֶּה אֲנִי,

בְּמוֹרְדֵי הַהרים

אַשְׁכשׁךָ רַגְלַי בנהרות,

אפְרח לִי אֶל מוּל הַמַּרְאוֹת 

אַל מוּל הַצְּלִילִים

אַל מוּל הַבְּרִיאָה,

רַק אַבִּיט וְאַקְשִׁיב 

לְשַׁבְרִיר שְׁנִיָּה

בְּכָל הַפֶּלֶא הַזֶּה 

וְאָמוּת כָּל כָּךְ יָפֶה

כְּמוֹ שֶׁנּוֹלְדוּ

כָּל אֵלֶּה !!


התמונה מהאינטרנט

Friday, February 5, 2021

 

By Beatriz Rodriguez

LO QUE NO DIJE

Es el silencio como una maraña inhóspita. ocupa los rincones más severos de mis entrañas.

En él se  guardan y esconden mis rabias, mis miedos y mis secretos.  Algunos son guardados por indiferencias o incredulidad del receptor, otros por prudencias y muchos son sagrados momentos   que no quieren ser empañados.

  Revuelan mis pensamientos y los no decires fueron muchos:

No dije mis cansancios…

No dije mis soledades

mis desconsuelos ni mis postergaciones

 no hablé de mis pasiones y menos de mis sueños….

Esas telarañas de los no decires, va rondando tal  remolino dejando en sus vueltas muchas fuerzas.

Tal vez esas palabras bien guardadas sean el vínculo sutil que sostiene una relación. Familia, amigos, colegas, hasta los desconocidos ocasionales en un mundo  que gira sin pretensiones y nosotros, aquel y yo guardamos los indicios más transparentes, tan guardados, tan escondidos y absortos nos cuestionan ¡Por qué? …..

                                                              



                                                                                        Beatriz Rodriguez

                                                                                         Cuarentena 2020

By Marlene Pasini

 HOLA MIS QUERIDOS 💕:

Les comparto mi nueva pintura la cual me hizo recordar un poema que le dediqué a mi pintora favorita Remedios Varo, española y radicada en México perteneciente a la corriente surrealista.


La Dama 

 

Tus entresueños fueron los pájaros en fuga,

la inmensidad sepultada en tus pupilas,

mantras del alba tejidos en la nube oscura de tu cabellera.


Al interior de carruajes fantasiosos 

por extraviadas calles andaste y desandaste,

en mármoles de aire tus pasos derribaron gravedades,

vuelos de espumas

donde los búhos solitarios del adiós te rondan, 

extranjera cautiva en la niebla de la distancia.


Cuántas veces a deshoras oías al viento y a la lluvia pasar entre las sombras de tus apariciones?

el galope de tu corazón entre la selva anochecida.


Cuántas veces ardían hogueras en el pozo de tus sueños?

jaurías de tempestades bajo el humo de un arcángel,

la humedad del relámpago para tu voz de fuego.


Y qué son esos sonidos, esos silencios que se escuchan desde las cúpulas insomnes de tus torres estelares?


Tu música de alientos, tu música solar de cuerdas,

harpas del tiempo que pulsaron su acorde catedral sobre las montañas de tu alma,

manantiales de sol palpitando en las fisuras del abismo. 


Ríos de vértigo desbordaste sobre el cegador espacio de los lienzos

donde paraísos vegetales fueron llamas que crecían bajo el misterioso pulso de tus manos.


De mi libro:


Hoy también la lluvia 


Pintura y poema 

By: Marlene Pasini 

Copyright

 Poem by Mariana kiss

Îmi așez capul în palme

Și privesc spre infinit...

Mă uit la luna ce adoarme,

Tăcută ,sprijinită de zenit...


Chipul tău se oglindește în lac.

Îl văd parcă ar fi miezul zilei.

Mi-e dor de tine,ce mă fac?Sunt prizoniera... iluziei!


Mi te închipui, cum veneai

Alergând fericit înspre mine.

Un buchet de flori în mâna aveai

Și două buzunare de sărutări pline.


Îmi aduceai ciocolată și cafea,

Să te iert, că ai întârziat pe drum,

Îmi dăruiai fără rezerve iubirea ta,

Mai scoteai,râzând ,câte un parfum.


Îmi plăcea cu tine, mă făceai să râd.

Îmi șopteai cuvinte de amor.

Erai înfipt la mine în gând...

Nu ne-a pasat deloc de viitor...


Când râdeai,soarele ieșea dintre nori,

Vântul avea adierea caldă...

Ne treceau minunați fiori...

Eram doar noi și dragostea oarbă.


Lumea era doar un decor pentru noi.

Îl striveam cu mângâierile noastre...

Ne dăruiam,în buza serii, goi,

Unul altuia,în depărtări albastre.


Apoi cădeam, secerați ,pe malul lacului...

Doar greierii se mai auzeau în fundal...

Ne îmbrățișam la marginea visului...

Iubirea noastră nu avea  niciunde... egal.


Te-am așteptat, într-o zi, la locul nostru.

Vântul a început să urle nebunește!

Parcă se pornise al lacului monstru...

Nimic ce a fost odată... nu mai este.


M-am refugiat în chilia veche...

Nu te-am mai văzut de atunci...

Mereu vin seara pe la ora zece

Doar, doar vei apărea tu...nu doar năluci...


         Prizoniera iluziei

      Autor: Mariana Kiss 

                    09 12  2020

            România-Curtici



Amigos míos ❣😇: 

Nueva pintura y poema, de mi próximo libro relacionado con algunos de mis viajes.

Espero que les guste 😄

Ruta en azul 


Acorazada por las montañas del Rif

una fantasía de perlas azuladas

son sus escaleras, calles 

y su Kasbah seductora.


Chefchouen

ciudad zafiro

encanto de sus rincones 

que dan cobijo a las almas viajeras

estaciones de frío que recogen leyendas 

y gatos que se pierden cada amanecer 

entre una oración del Corán


Envuelta por un caftán de gloria 

por sus laberintos se escucha el murmullo 

de historias omeyas y sombras bereberes

lágrimas de un poema andaluz 

en la voz anónima de un místico sufí


Puertas como pinturas de un sueño surrealista 

oráculos que la tarde llena 

en cada momento 

como un golpe de báculo 

sobre el valle marroquí


Sabor azafranado

ruta de todas las fragancias

que el tiempo deja en estelas eremitas a su paso 

corazones que retumban 

ante el hechizo del laúd

eternidad de paraíso que recuerda 

los noventa y nueve nombres de Allah


Poema inédito y pintura 


Marlene Pasini 

Copyright


Poem original by Aziz Mountassir Morocco

Translation by Jeanette Eureka Mexico

Tu eres mi barco del destino

 Tu nombre es mi vida

 Tu nombre .

  Un lugar sin eco

 Donde los racimos salvajes

 Donde la fantasía no se mueve

 No se inclina

 No toca las espinas

 Volver de

  Respiraciones de agua

 Negro

 Olvida las piedras atormentadas

 Y extiende tu mano fértil

 Por mi pluma

 Para dibujar un teclado

 Una nueva era que viene

 Y suspiro

 Atrapa de cerca

 Por tu perfume

 Con una exhalación

 Del mar terminaré 

 En tu memoria


 #Aziz Mountassir

 

יומני בלוגרים

שושנה ויג ● פובליציסטית

● דוא"ל ● בלוג/אתר ● רשימות ● מעקב


משורר השלום והאחווה ממרוקו

המשורר זכה ליותר מעשרה תארי דוקטור לשם כבוד ולהצטיינות גבוהה בזכות פועלו הספרותי ושירותו לאנושות המשורר זכה ליותר מעשרה תארי דוקטור לשם כבוד ולהצטיינות גבוהה בזכות פועלו הספרותי ושירותו לאנושות

▪  ▪  ▪


6 אוספי שירה [צילום: סטיב הלבר/AP]

באחרונה אני מתרגמת שירת משוררים מרחבי העולם. כשפניתי לד"ר עזיז מונטאסיר (Mountassir Aziz) הוא הפתיע אותי ושלח לי את השירים לתרגום, ומתחת הוסיף שלוש תעודות של כבוד בעקבות המעשה שלי. אני סבורה שבימים אלה של בידוד וריחוק המעשה הזה הוא אצילי מאוד, מחוות של אנושיות בעולם. אני שמחה מאוד להציג את המשורר הבינאומי ממרוקו לקהל בישראל ולהיות המתרגמת הראשונה לשירתו בעברית. ובכן מי הוא המשורר?

משורר בינלאומי ושגריר ליצירתיות ולאנושיות ממרוקו, צפון אפריקה. נשיא הפורום הבינלאומי ליצירתיות ואנושיות. משמש כשגריר העיתונות הפנימית לילד וושינגטון בצפון אפריקה. כמו-כן שגריר WIP (ניגריה) במרוקו, רכז הקשרים בצפון אפריקה של UWMC (ילדי התנועה העולמית המאוחדת) ושגריר שליחות האנושות ושלום במרוקו. ד"ר מונטאסיר הוא רכז הקשר לרשת המדיה הערבית במרוקו, והוא השתתף ב-5 אנתולוגיות שירה בינלאומיות.

למונטאסיר עזיז 6 אוספי שירה בערבית: "המנגינה העצובה", "המתנה למשחק", "משחק כפול" ו"כאב ושריטות על הפנים מצפות". "עד כמה מהודרת האשמה" היא הכותרת של יצירת השירה החדשה שלו, שהיא בדפוס. שיריו תורגמו לשפות שונות, כולל אנגלית, צרפתית, ספרדית, איטלקית, סרבית, סלובנית, רוסית, גרמנית, פיליפינית, ויפנית. Mario Rigli משורר וצייר איטלקי בעל שם, תירגם כמה משיריו ושר אותם כהלחנה מוזיקלית יחד עם המלחין האיטלקי הידוע, Fabio Martoglio. עבודותיו תורגמו לאיטלקית גם על-ידי Maria Palumbo לאנגלית על-ידי William S. Peters-. אני מקווה שיוסיף את שמי לתרגומיו בעברית.

המשורר זכה ליותר מעשרה תארי דוקטור לשם כבוד ולהצטיינות גבוהה בזכות פועלו הספרותי ושירותו לאנושות. הפדרציה העולמית לשגרירי רצון טוב הכירה בחשיבותו בתעודת שגריר רצון טוב ממרוקו. הוא מקדיש בלהט את תשוקתו לשירות העולמי ומשמש כמנהיג הומניסטי והומניטרי ושגריר ליצירתיות, לשלום ושלווה.

עזיז הוזמן למספר רב של כנסי תרבות ופסטיבלי שירה בינלאומיים: איחוד האמירויות, דוביי, רומניה, ספרד. מצרים. טוניס. סין. טורקיה. בלגיה.

שיחה قصيدة: حديث

על-ידי מרוקאי המשורר עזיז מונטאסיר (عزيز منتصر)

הָעֵטִים שֶׁל הַגְּאוֹנִים

הַלְּחָנִים שֶׁל מוֹצַרְט

הַסְּלוֹאִים שֶׁל מַרְסֶל

וְשִׁירָיו שֶׁל שֶׁיְקְסְפִּיר

דִּבְּרוּ אִתִּי

אוֹדוֹת הָאַהֲבָה

וְעַל הַזְּמַן שֶׁחָלַף

עַל צְפִיפוּת הַחֹשֶׁךְ

עַל מְכִירַת הַשָּׁלוֹם

עַל הַבּוּשָׁה הָעֵירֹמָה

שֶׁהֵמֵסָּה אֶת הַנֵּרוֹת

שֶׁגָּרְמָה לְצִמְצוּם הַפְּרָחִים

נָצְרָה אוֹתִי בְּסֵבֶל

שָׁלְחָה הַבְטָחָה

לְבַטֵּל

וְהִנִּיחָה לַגּוּפוֹת לִפֹּל קָרְבָּן

לִצְהִיבוּת הַסְּתָו

וְסוּפוֹת חֹרֶף

הֵן דִּבְּרוּ אִתִּי עַל

זִרְמֵי הַדָּם

שֶׁנַּרְגִּיעַ רָעוֹת

בְּקֶרֶב אֻמּוֹת הַיַּסְמִין

עַל דִּכּוּי וַחֲלוֹמוֹת

בְּעִדָּן הַגַּרְדּוֹם וְהָעֹנֶשׁ.

רִשְׁרוּשׁ הָאָלֶפְבֵּיתִיִּים שֶׁלִּי

הוּא תְּנוּמָה לַיּוֹנִים.

מֶרְחָבִים בְּתוּלִיִּים

עֲדַיִן לֹא נֶאֶבְקוּ

לִחְיוֹת בְּאֶקְסְטְזַת רְצוֹנוֹת,

עֵינֵיהֶם רוֹאוֹת זִהוּמִים

לְשׁוֹנָם מְדַבֶּרֶת עַל יֹפִי.

________________________________

حديث

الشاعر عزيز منتصر

--------------------

حدثتني

أقلام النوابغ

وألحان موزار

وتقاسيم مارسيل

وقصائد شكسبير

عن العشق

وما مضى من الزمن

عن جثولة الظلام

وبيع السلام

عن العار العاري

الذي أذاب الشموع

وأذبل الأزهار

ونسج حولي الشقاء

وأهدى الآمان

للزوال

وترك الأجساد فريسة

لصفرة الخريف

وعواصف الشتاء

حدثتني

عن سيول الدماء

لإرضاء شروري

في شعوب الياسمين

عن القهر و الأحلام

في زمن الشنق والعقاب

وخشخشة حروفي أنا

نوم للحمام

حدائق عذراء

لم تلقح بعد

تعيش نشوة الرغاب

عيونها ترى النجاسة

ولسانها يعبر عن الجمال

 Poem by Aziz Mountassir Aziz Mountassir

Translation Jeanette Eureka to lunguage Espagnol



Espérame allí

No dejaré de conocerte

  Te dibujé en mis años 

nos reuniremos.

En ese día

No pienses en llegar tarde

Las lágrimas fluyen de mi

Regarás tu paraíso

El deseo crece

Los dolores amarillean

Escucha mi pulso

Es un tambor delgado

Te predice mi llegada

No importa lo lento      

      del progreseo

Finalmente dormiré

Cerca de usted


 # Aziz Mountassir


انتظريني هناك 

لن أكف عن مقابلتك

التي رسمتها

 في سنيني

سنلتقي

 في ذلك اليوم  

لا تفكري في تأخري 

دموع تسيل مني

ستسقي جنتك 

وتنمو الرغبة 

وستصفر الأحزان

اسمعي نبضي 

إنه طبل رقيق 

ينبؤك عن وصولي

مهما كان تقدمي بطيئا

اعلمي أنني سأنام  أخيرا

بقربك 


#عزيز منتصر


By Hasmukh Mehta

No fear-Corona 

Friday,5th February 2021


Develop no fear

but gear up

for the Covid-19 vaccination

it is a drive throughout the nation 


we are very much blessed

that breakthrough is achieved

the homemade vaccine is available 

it appears an end of the battle 


it is not for the timely curb

but going to be medicine hub

for the children

and future generation


where the whole world lagged behind

we were able to find

an alternative for the cure

now the whole of the nation and the international community is assured


even the World Health Organization has commented

and presented

the bright prospectus 

for all humans 


the country has helped neighbouring nations

to improve relations

and sent them the needed doses

and obliged the human relation


Dr Jadia Hasmukh

Aziz Mountassir / Caroline laurent

  Aziz Montassir'in orijinal şiirleri (مسائي اغنية)

Fransızcadan Türkçeye çeviri,Caroline Laurent Turunç


Gece şarkısı


  Şiirim bir şarkıdır 

   Tutsak bir yürekte 

   kurtulmanın yolu yok.

  Hayal gücüm ve benim

  ruh yalanı

  sınırlı bir pasajda

  beni mahrum eden sorunlar

   arzularım

   Şarkımın dizelerinde 

  bir aşk

  kendisine ait olan her şeyi feda eden

   şiir yazmak için

  içeriği ateşli olan

 Hissin duyumu

  bir güneşin görünümü

  Evren boyunca ateşli.




Ma poésie est une chanson

 dont le coeur est prisonnier

 sans issue pour se libérer. 

Mon imagination et mon 

esprit se trouvent 

dans un passage limité

de problèmes me privant

 de mes désirs.

 Les vers de ma chanson 

est un amour 

qui sacrifie tout ce qui lui appartient

 pour rédiger une poésie 

dont la teneur est un fervent 

sentiment annonçant  

la parution d'un soleil 

ardent dans tout l'Univers


  Aziz Montassir'in orijinal şiirleri (مسائي اغنية)

Fransızcadan Türkçeye çeviri,Caroline Laurent Turunç

By senol Alcinkaya


ORADA

Ruhum kırılmıştı

Kalbim dağınıktı

Işık sönmüyordu

Pir daha


Ne gam ki bana

Tüy gibi olurdu tuğla

Sen geldiğinde bana


Köz gözüm 

Sağır kulağım

Hayattır sana


Taş iyiliktir

Altını kaldır

Yıldızlar saklıdır

Orada


Bak samanyolu

Seni seyrediyor

İçimdeki sinema


Şarap vaktidir

Üzüm komşumsun

Sudaki damlaya


İyiliğin sevinci

En derin makam 

Gölgedeki sırlara


Toprak ve çimen

Sevgilimsin inceliğe

Bak orada ayna


Gönül kubbesine

Gittimdi geldimdi

Tenim aktı zamanlara


Kokun kalbimdeydi

Yokluğun sessizliği

Ne ağır bir ecza


Bir yandım

Bir daha yandım

Pir dayandım

Kalbinin kapısına…


Engin Turgut

المنتدى الدولي للإبداع والإنسانية المملكة المغربية

Dra Hc Maria Elena Ramirez  🌹✨🌹La Inmaculada Concepción De La Santísima Virgen María.✨✨🕊️🌹Conceda La Paz En El Mundo. AMÉN.  La Inmacula...